Importance of hindi ; speech on 22 Sept 2019
नमस्कार
दोस्तों ! आज 22 सितंबर 2019 को अभिनव शिक्षणशास्त्र
महाविद्यालय में हिंदी गौरव दिवस का आयोजन किया गया है |हम सबके लिए यह बहुत आनंद
की बात है कि एक शिक्षाशास्त्र के महाविद्यालय ने हिंदी भाषा
गौरव दिवस के उपलक्ष्य व्याख्यान की संयोजना की है | इस कार्यक्रम का आयोजन ही राष्ट्रभाषा की प्रति अपनेपन का एहसास दिलाता है
। ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन और उसमें होने संवाद भाषिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते
हैं ।
14
सितंबर 1949 के दिन हिंदी भारत देश की राजभाषा
के रूप में चयनित और स्वीकृत/संस्तुति हो
गई परंतु इसी दिन (14 सितंबर ) से गौरव दिवस के रूप में मनाने का कार्य
आरंभ नहीं हुआ बल्कि 1953 में राष्ट्रभाषा प्रचार समिति
वर्धा ने 14 सितंबर को प्रतिवर्ष राष्ट्रभाषा गौरव दिवस मनाने हेतु एक
प्रस्ताव रखा और वह पारित भी हुआ तब से लेकर आज तक भारतवर्ष में 14 सितंबर को हिंदी
भाषा गौरव दिवस उल्हास से मनाया जाता है । दूसरी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि 14
सितंबर हिंदी के महान साहित्यिक पुरोधा राजेन्द्र
सिन्हा का जन्मदिन है जिनके प्रयासो से ही हिंदी भाषा को यह स्थान प्राप्त हुआ है। केंद्र सरकार के सभी कार्यालयों में 14 सितंबर से 15 दिनों तक हिंदी पखवाड़ा के अंतर्गत विविध कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं
| इन दिनों विविध क्रियाकलापों का आयोजन किया जाता है जिसके माध्यम से
सरकारी कर्मचारियों की
सहायता से समूचे भारतवर्ष में हिंदी भाषा का प्रसार-प्रचार करना प्रधान उदेश्य होता है ।
संविधान
में अनुसूचित 22 भाषाओं में से हिंदी एक विकासोन्मुख भाषा के रूप में क्रियाशील है | विश्व के
अधिकांश विश्वविद्यालयों में स्नातक तथा स्नातकोत्तर स्तर पर यह पठन-पाठन का
अनिवार्य हिस्सा बनी है साथ ही साथ अमेरिका एवं कई अन्यदेशों के विश्वविद्यालयों
में इसके माध्यम से अनुसंधान का भी कार्य जारी है। विश्व की सर्वाधिक बोली जाने
वाली 10 भाषाओं में हिंदी का स्थान चौथा है ! { संदर्भ : World Fact Book 2009} विश्व भर में 2.68
प्रतिशत लोग हिंदी भाषा का बोलचाल में प्रयोग करते हैं | गौरतलब बात
यह है भारत कि बंगाली भाषा का भी प्रयोग भी हिंदी के लगभग समीप ही है | बंगाली बोलने वाली लोगों की संख्या 2.66
है |
अब
महत्वपूर्ण बात यह है कि 21वीं सदी में भारतीय भाषाओं का
विकास कैसे हो पाएगा ? भारतीय भाषाएँ तथा उसके प्रयोगकर्ता अपनी भाषा का इलेक्ट्रॉनिक
संसाधनों की सहायता से कैसा संस्करण और संवर्धन करेंगे ? हम मशीन में अपनी स्वयं की भाषा का प्रयोग करेंगे तथा विभिन्न सर्च इंजनों
पर अपनी भाषा के आलेखों में योग दे सकते है तथा अपनी भाषा की परिभाषिक शब्दावली के
विकास हेतु विभिन्न शब्दों का चयन करते हुए गूगल की सहायता से प्रतिशब्द जोड सकते हैं | इसके साथ ही अन्य कई क्रियाकलापों का प्रयोग भी भाषा विकास एवं संवर्धन
में सहायक होगा, जैसे नवागत अध्यापक तथा अभिभावक 1 हफ्ते का विभाजन अपनी मातृभाषा के 3 दिन; राष्ट्रभाषा
2 दिन; अंतरराष्ट्रीय भाषा :1 दिन
तथा प्रगत भाषा : 1 निर्धारित दिवस संप्रेषण के लिए उसी भाषा का प्रयोग कर सकते
हैं साथ ही साथ 1 दिन के कई घंटों का भी विभाजन भाषा संप्रेषण के लिए कर सकते हैं |
इससे छात्र तथा अभिभावकों को अपनी अभिव्यक्ति करने के लिए पर्याप्त समया मिल सकेगा
तथा भाषा के प्रति रुचि भी उत्पन्न होगी । मुझे और एक बात गौरतलब लगती है ; वह यह
है कि, भारतीय लोगों को बॉलीवुड के फिल्म देखना बहुत पसंद है
यह तो जाहीर है मतलब मनोरंजन के लिए हिंदी ! पढाई के लिए अन्य भाषा का प्रयोग
क्यों ? इसके पीछे बाजारूवाद का प्रभाव यही एक मात्र कारण है,
समूचे विश्व के लोग अपनी संस्कृति से अलगाव तथा असुरक्षितता महसूस
कर रहे हैं | इस वजह से वे विकास का
अभिन्न अंग अपनी भाषा को नहीं बल्कि किसी अन्य भाषा को मानते हैं | जबकि इस प्रकार की सोच के पीछे कोई वैज्ञानिक तर्क नहीं
मिलता है | इसे हम जापान के उदहारण द्वारा समझ सकते हैं | जापान विश्व का एक ऐसा राष्ट्र है जो द्वितीय विश्वयुद्ध में पूरा नष्ट होने की
कगार पर था, पर आज वही
जापान विश्व के लिए नई तकनीकि और उत्पादों का निर्माण करते हुए अपनी भाषा को
प्रगति के सर्वोच्च शिखर पर ले गया है | आज भारतवासी ही नहीं बल्कि विश्व के
अधिकांश लोग जापानी उत्पादन एवं निर्माण से प्रभावित ही नहीं बल्कि प्रेरित भी हैं
।
आज
नवागत अध्यापकों के सम्मुख चुनौती है कि भूमंडलीकरण के दौर में
राष्ट्रभाषा के साथ-साथ अन्य भारतीय भाषाओं का चहुमुखी विकास कैसे होगा ? कक्षा में पठन-पाठन के साथ भारतीय भाषाओं के प्रति रूचि कैसे उत्पन्न होगी
? छात्र लगन से मातृभाषा या राजभाषा
के साहित्य का रसास्वादन कैसे करें ?
इसके लिए भाषाविद व शिक्षाविद के साथ विचार- विमर्श होना जरूरी है |अंत
में हिंदी भाषा विकास एवं प्रयोग के लिए सभी से आवाहन करते हुए , सभी
को शुभकामनाएं देता हूँ | हिंदी भाषा पर अपना मत रखने का मौका देने के लिए अपने मित्र,प्राध्यापक किरण
ननवरे जी और कार्यक्रम की अध्यक्षा प्राचार्य डॉ. कांचन चौधरी जी सहित कार्यक्रम
में उपस्थित सभी सहकर्मी प्राध्यापकों एवं
छात्रों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए अपनी वाणी को विराम देता हूँ ,धन्यवाद ,जय हिंद ! जय हिंदी ! जय महाराष्ट्र
शब्दरचना: डॉ. अमोल चव्हाण
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Nice....
ReplyDeleteinformative speech
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